शुक्रवार, १८ फेब्रुवारी, २०२२

काही ओव्या (३)

 विश्वाच्या आरंभी | एकले ते शून्य |

केवल अनन्य | स्वयंपूर्ण ||


एकलेपणाचा | त्यास ये कंटाळा |

सोबत्यांचा मेळा | हवा वाटे ||


आदिकांक्षेतून | द्वैताचे जनन |

विश्व प्रसरण | पावू लागे ||


काळाचा प्रवाह | अनादि अनंत |

त्यास ना उसंत | कशाचीही ||


कार्य कारणाची | साखळी अनंत |

तोडी ज्ञानवंत | शून्यभोगी ||


द्वैताच्या कांक्षेचा | एकत्वी विलय |

त्यासी प्रत्यवाय | काही नाही ||


एकत्वाच्या भावी | स्थिरचित्त होणे |

शून्यत्वा नेणणे | सत्यमार्ग ||

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